संसदीय क्षेत्रों के स्तर पर डेटा उपलब्ध होने से न केवल सांसद अपने क्षेत्र की आकांक्षाओं और जरूरतों पर बेहतर काम कर सकेंगे बल्कि यह कदम मतदाताओं को भी सशक्त बनाएगा। इससे जनता द्वारा अपने सांसद के प्रदर्शन का आंकलन भी डेटा आधारित मजबूत मापदंडों पर हो सकेगा।
लेखक: डॉ. एस. वी. सुब्रमनियन और शुभम मुद्गिल
यह लेख 1 जून, 2023 को दैनिक जागरण में प्रकाशित हुआ था
अगले साल अठारवीं लोक सभा के गठन हेतु भारत में आम चुनावों का आयोजन होगा। लोकतंत्र का सबसे बड़ा त्यौहार माने जाने वाले इन्हीं चुनावों के माध्यम से भारतीय जनता अपने सर्वोच्च जन प्रतिनिधिओं (अर्थात सांसदों) का चयन करेगी। अपने संसदीय क्षेत्रों के मतदाताओं की आकांक्षाओं और उमीदों का भार संभालें, यही सांसद राष्ट्रीय स्तर पर क़ानून, निति, विकास से जुड़े अनेकों मुद्दों पर देश का पथ प्रबल करेंगे। परन्तु जिन संसदीय क्षेत्रों से भारत के सर्वोच जन प्रतिनिधि चुने जाते हैं, आज उसी स्तर पर विकास के अनेक सूचकों से सम्बंधित डेटा का आभाव है।
इस साल की शुरुआत में लोकसभा सांसद श्रीमती सुनीता दुग्गल ने श्रम और रोजगार मंत्रालय से उनकी एक विशेष योजना के तहत पंजीकृत कृषि मजदूर लाभार्थियों की संख्या पर डेटा मांगा। माननीय सांसद विशेष रूप से अपने संसदीय क्षेत्र में इन लाभार्थियों की संख्या जानना चाहती थीं। हालाँकि, जवाब सवरूप उन्हें बताया गया कि मंत्रालय संसदीय क्षेत्र के स्तर पर डेटा एकत्रित नहीं करता। यह समस्या केवल मंत्रालयों तक ही सीमित नहीं बल्कि आज सरकार द्वारा किसी भी विकास सूचक का डेटा संसदीय क्षेत्र स्तर पर जारी नहीं किया जाता।
ऐतिहासिक रूप से सरकारी योजनाओं और अभियानों के लिए डेटा मुख्य तौर पर जिला स्तर पर एकत्रित और जारी किया जाता रहा है। जिला-स्तरीय डेटा – चाहे भारत सरकार के प्रशासनिक डेटा से या राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एन.एफ.एच.एस.) जैसे स्वतंत्र सर्वेक्षणों से – आज नीतिगत विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में स्थापित है। परन्तु संसदीय क्षेत्रों के विकास के आंकलन में जिला-स्तरीय आंकड़ें कम पड़ जाते हैं।
इसका कारण है भारत के जिलों और संसदीय क्षेत्रों की कभी न मेल खाती सीमाएं। वर्त्तमान में जहाँ देश में 766 जिलें हैं, वहीं संसदीय क्षेत्र केवल 543 है। कुल 391 संसदीय क्षेत्र तो अपना नाम जिलों के साथ साझा करते है। एक ही नाम होने के बावजूद भी इन संसदीय क्षेत्रों और जिलों की जनसंख्या और जनसांख्यिकी अलग है। उदाहरण के लिए उदयपुर जिले का नाम धारण करने वाले उदयपुर संसदीय क्षेत्र को ही ले लीजिये। इस संसदीय क्षेत्र में उदयपुर जिले के अलावा भी प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जिलों के कुछ हिस्से शामिल हैं। ऐसे में यदि उदयपुर के सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में एनीमिया के प्रसार के बारे में जानकारी चाहिए तो महज़ उदयपुर जिले का डेटा सहायक नहीं होगा। जिलों की लगातार विकसित होती सीमाएं और बढ़ती संख्या इस समस्या को और जटिल बना देती है।
संसदीय क्षेत्रों के स्तर पर डेटा उपलब्ध होने से न केवल सांसद अपने क्षेत्र की आकांक्षाओं और जरूरतों पर बेहतर काम कर सकेंगे बल्कि यह कदम मतदाताओं को भी सशक्त बनाएगा। इससे जनता द्वारा अपने सांसद के प्रदर्शन का आंकलन भी डेटा आधारित मजबूत मापदंडों पर हो सकेगा।
data.gov.in जैसे प्लेटफॉर्म के साथ, भारत सरकार ने उच्च गुणवत्ता वाले डेटा को एकत्र करने और साझा करने में सराहनीय प्रगति की है। परन्तु उन पर उपलब्ध डेटा अभी भी राज्य, जिला, शहर और ब्लॉक जैसी प्रशासनिक सीमाओं तक ही सीमित है। हालाँकि भारतीय परिवेश में संसदीय क्षेत्रों के स्तर पर डेटा की कमी को पाट रहा है हार्वर्ड की ज्योग्राफिक इनसाइट्स लैब का इंडिया पॉलिसी इनसाइट्स इनिशिएटिव (आई.पी.आई. )।
आई.पी.आई. द्वारा विकसित एक नए इंटरैक्टिव डेटा ट्रैकर ने पहली बार भारत के प्रत्येक 543 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के लिए आबादी, स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़ा महत्वपूर्ण डेटा प्रदान किया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा पर आधारित ये ट्रैकर प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए 90 से ज्यादा विकास सूचकों पर आधारित एक फैक्टशीट भी उपलब्ध करता है। इस फैक्टशीट का उपयोग कर सांसद, पत्रकार, शोधकर्ता, समाजसेवी और आम नागरिक भी अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हुई प्रगति का आंकलन कर सकते हैं।
इस ट्रैकर के उपयोग संसदीय क्षेत्र ओर जिले के डेटा में अंतर साफ़ दिखाई देता है। जहाँ कन्नौज जिले में 12-23 महीने की आयु के 56.8 प्रतिशत बच्चों को वैक्सीन कार्ड से प्राप्त जानकारी के आधार पर पूर्ण टीकाकरण प्राप्त हुआ, वहीं कन्नौज संसदीय क्षेत्र में यह आंकड़ा 69.7 प्रतिशत है। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र; जो पांच जिलों (हमीरपुर, कांगड़ा, ऊना, मंडी और बिलासपुर) में फैला है, वहां प्रसवपूर्व कम से कम चार बार देखभाल दौरा पाने वाली माताओं का प्रसार 75.5 प्रतिशत है, जबकि हमीरपुर जिले में यह 59.4 प्रतिशत है। इसी कारणवश संसदीय क्षेत्र स्तरीय डेटा की उपलब्धता निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में अपूर्ण जरूरतों की पहचान करने और उनमें सुधर हेतु शासन-प्रशासन, समाज व अन्य हितधारकों के साथ काम करने में बड़ी मदद कर सकती है।
सांसदों और जिला प्रशासन के बीच समन्वय में सुधार करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 2016 में जिला समन्वय और निगरानी समितियों का गठन किया। अपने संसदीय क्षेत्र में आने वाले जिलों में इन समितिओं की अध्यक्षता कर सांसद अपने क्षेत्र में केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन का आंकलन करते हैं। हालाँकि, सांसदों के पास अपने संसदीय क्षेत्र से सम्बन्धी डेटा का कोई स्वतंत्र स्रोत न होने के कारण उन्हें जिला प्रशाशन द्वारा सोपें आकड़ों पर ही निर्भर होना पड़ता है। ऐसी स्थिति में, यदि इन बैठकों की अध्यक्षता करने वाले सांसदों के पास अपने निर्वाचन क्षेत्रों से संबंधित विश्वसनीय डेटा हो, जैसे आईपीआई के ट्रैकर द्वारा प्रदान की गई जानकारी, तो इससे उन्हें जिला प्रशासन के प्रदर्शन का बेहतर आकलन करने में मदद मिलेगी।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में, सरकार के 2022 तक साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की ओर बढ़ने के इरादे की घोषणा की थी। भारत में डेटा की उपलब्धि को सुधारने पर काम कर रही सरकार के पास अब संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर डेटा के संग्रह को प्रोत्साहित करने और इसे उपयोगकर्ता के अनुकूल और इंटरैक्टिव प्रारूपों में प्रसारित करने का एक सुनहरा अवसर है। जियोग्राफिक इनसाइट्स लैब द्वारा विकसित आई.पी.आई. ट्रैकर्स जैसी पहलों से साफ़ ज़ाहिर है कि इस तरह के डेटा की उपलब्धता से न केवल निर्वाचित प्रतिनिधियों को संसाधनों के बेहतर आवंटन में मदद मिलेगी, बल्कि देश में नीतिगत विमर्श में नागरिकों की सहभागिता भी बढ़ेगी।
डॉ. एस. वी. सुब्रमनियन हार्वर्ड विश्वविद्यालय में जनसंख्या स्वास्थ्य और भूगोल के प्रोफेसर और ज्योग्राफिक इनसाइट्स लैब के प्रधान अन्वेषक हैं। शुभम मुदगिल द क्वांटम हब नामक एक पब्लिक पालिसी रिसर्च और कम्युनिकेशनस फर्म में पब्लिक पॉलिसी एसोसिएट हैं।
हार्वर्ड विश्विद्यालय के ज्योग्राफिक इनसाइट्स लैब के इंडिया पॉलिसी इनसाइट्स इनिशिएटिव द्वारा संसदीय क्षेत्रों के स्तर पर जारी किया गया स्वास्थ, जनसँख्या और विकास सम्बन्धी डेटा देखने के लिए इस लिंक का प्रयोग करें।